Not known Factual Statements About Shodashi

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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

Shodashi is noted for guiding devotees toward higher consciousness. Chanting her mantra promotes spiritual awakening, encouraging self-realization and alignment With all the divine. This gain deepens internal peace and knowledge, making devotees far more attuned for their spiritual plans.

दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।

क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।

सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥

Shodashi Goddess is among the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of wisdom. Her title implies that she may be the goddess who is usually here 16 years aged. Origin of Goddess Shodashi transpires immediately after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.

दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।

हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः

यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं निगर्भा स्तुता

केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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